हंसी के दोहे।

कर्ज़ा देता मित्र को,
वही मूर्ख कहलाए
महा मूर्ख वह यार है,
जो पैसे लौटाए.

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बिना जुर्म के पिटेगा,
समझाया था तोय

पंगा लेकर पुलिस से,
साबुत बचा न कोय ......
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गुरु पुलिस दोऊ खड़े,
काके लागूं पाय तभी पुलिस
ने गुरु के, पांव दिए तुड़वाय
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पूर्ण सफलता के लिए,
दो चीज़ें रखो याद
मंत्री की चमचा गिरी,
पुलिस का आशीर्वाद .....
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नेता को कहता गधा,
शरम न तुझको आए
कहीं गधा इस बात का,
बुरा मान न जाए.....
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बूढ़ा बोला, वीर रस,
मुझसे पढ़ा न जाए
कहीं दांत का सैट ही,
नीचे न गिर जाए ....
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दादा खैनी खाइए,
इससे खांसी होय,
फिर उस घर में रात को,
चोर घुसे न कोय..
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काले रंग पर, रंग चढ़े न कोय
लक्स लगाकर कांबली,
तेंदुलकर न होय ....


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बुरे समय को देखकर,
गंजे तू क्यों रोय
किसी भी हालत में तेरा,
बाल न बांका होय.....
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दोहों को स्वीकारिये,
या दीजे ठुकराय जैसे मुझसे
बन पड़े,
मैंने दिए बनाय .....
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